समर्पण
यह तन न था तेरा कभी
यह मन न था तेरा कभी
नहीं यह पन्थ भी तेरा नहीं
कर दें समर्पण राष्ट्र को।
न यह मेरा प्राण है
इसका न मुझको त्राण है
नहीं यह बुद्धि भी तेरी नहीं
कर दे समर्पण राष्ट्र को।
जो कुछ मिले जो कुछ फले
जो भेंट में तुझको मिले
नहीं यह वेश भी तेरा नहीं
कर दे समर्पण राष्ट्र को।
न यह तेरा है परिवार
न यह बंगला न यह कार
नहीं यह बहार भी तेरी नहीं
कर दे समर्पण राष्ट्र को।
जितना भी है वैभव तेरा
बना ले कितने तम्बू डेरा
राष्ट्रप्रेमी हस्ती भी तेरी नहीं
कर दे समर्पण राष्ट्र को।
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