सब कहते हैं होली-होली
सब कहते हैं होली-होली,किन्तु अभी होली झांकी है।
जब तक हैं हिरण्यकश्यपु जीते,तब तक तो होली बाकी है।
जिसको मां का ध्यान नहीं, पुकार न सुनता जनता की।
जनता करूण क्रन्दन करती, आह निकलती जनता की।
भारत मां डायन कहने वालों की, संग है जब तक टोली।
सब कहते हैं होली-होली,किन्तु अभी होली झांकी है।
कुर्सी की खतिर तो यहां नित हो ती खातिरदारी है।
प्रधानमन्त्री पद पर करते, सब अपनी दावेदारी है।
क्या हुआ जनता ने, सत्ता दल का कर दीना निपटारा।
जो लोग सत्ता में आये, उनका भी है वही पिटारा।
नहीं गारण्टी अब न मिलेगी जनता को खूनी रोली।
सब कहते हैं होली-होली,किन्तु अभी होली झांकी है।
जब न रहेगा कोई ईसाई,नहीं रहेगा मुस्लिम भाई।
हम सबकी राष्ट्रीयता ही, अब एक हमारी माई।
पड़ने न देंगे फूट आपस में , बढ़ने न देंगे खाई।
बहुसंख्यक,अल्पसंख्यक ना कोई,सब हिन्दुस्तानी भाई।
राष्ट्रीय स्वाभिमान पर मिल मनायें सब होली।
सब कहते हैं होली-होली,किन्तु अभी होली झांकी है।
जनता जग रही है भारत की अब प्रहलाद बन जायेगी।
अब राक्षसी चाल एक भी ,नहीं काम कर पायेगी।
राष्ट्र और संस्कृति विरोधी मिट्टी में मिल जायेंगे।
होगा अम्बर अरूण लाल ,तब देव भी होली गायेंगे।
रामराज्य की आवश्यकता,जनता की निकली टोली।
सब कहते हैं होली-होली,किन्तु अभी होली झांकी है।
भारत मां के सपूत जगेंगे,सच्ची मानवता लायेंगे।
झूंठी शान और शोकत को ,भारत से दूर भगायेंगे।
उपलब्ध साधन और श्रम से ही भारत को चमकायेंगे।
राणा,शिवा आदर्श हमारे,राष्ट्र की खातिर मिट जायेंगे।
राष्ट्रप्रेमी लक्ष्य प्राप्ति हित, लगायें भू-रज रोली।
सब कहते हैं होली-होली,किन्तु अभी होली झांकी है।
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