हम परदेशी मीत नहीं हैं,
यह कविता है, गीत नहीं है ।
अभी युद्ध विराम है केवल,
समझो जीवन जीत नहीं है।।
संघर्ष सदैव ही करते आये,
तदनुकूल ही फल भी पाये।
हम सदैव ही चलते आये,
समझ यही तू मनु के जाये।
जीवन में सुन करूण पुकारें,
समझ इन्हें संगीत नहीं है।
अभी युद्ध विराम है केवल,
समझो जीवन जीत नहीं है।।
बचपन से हम कहीं न ठहरें,
लगा लिये लोगों ने पहरे।
चलना अपना काम रहा है,
पथ में आये गढ्ढे गहरे।
सबको ही सम्मान दिया है,
लेकिन करते प्रीत नहीं है।
अभी युद्ध विराम है केवल,
समझो जीवन जीत नहीं है।।
साथ हमारे तुम चल पाओ,
विपित्तयों में ना घबराओ।
साथ हमारे चल सकते हो,
कदम न पीछे जरा हटाओ।
संघर्ष किया है हमने अब तक,
पालन करते रीत नहीं है।
अभी युद्ध विराम है केवल,
समझो जीवन जीत नहीं है।।
बहुत खूब, राष्ट्रप्रेमी जी !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !