Wednesday, December 3, 2014

दुनियाँ में मेरे हमदम, कुछ ऐसे भी फूल खिले

4.24.2007
बस मुश्किल यही केवल, आपसे मुलाकात नहीं।

आपकी यादों से मरहूम, हमारी कोई रात नहीं।

हमारे जीने के लिए तो, आपकी यादें ही हैं काफी,

आपकी खुशबू तो है, बस आपका हाथ नहीं।।

राह आपकी चलते हैं हम, आपका केवल साथ नहीं।

कटींली, तीखी धूप में, कुम्लाये, आपका गात नहीं।

दुनियाँ में मेरे हमदम, कुछ ऐसे भी फूल खिले,

जीवन बख्शा खुदा ने उनको, लेकिन खुशबू का साथ नहीं।।


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