Monday, February 6, 2023

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की,

  नहीं जेल, अब जेल है

                                     

चाह नहीं अब रही किसी की, सबने खेला खेल है।

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की, नहीं जेल, अब जेल है।।

कर्म कर्म के लिए करें हम।

कदम कदम हैं छले, जले हम।

नहीं किसी से कोई शिकायत,

खुद ही खुद के साथ चलें हम।

पथिकों का है आना-जाना, जीवन चलती रेल है।

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की, नहीं जेल अब जेल है।।

छिनने का कोई भय नहीं हमको।

लूट का माल, मुबारक तुमको।

षड्यंत्रों से मुक्ति मिले बस,

पी जाएंगे सारे गम को।

स्वार्थ-वासना की आँधी में, संघर्ष की रेलम पेल है।

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की, नहीं जेल अब जेल है।।

विश्वास करे, विश्वास घात है।

कर्म हैं काले, काली रात है।

तुम से, प्यारी सीख मिली है,

नीच कर्म ही नीच जात है।

राष्ट्रप्रेमी को, प्रेम,  प्रेम से, स्वारथ से ना मेल है।

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की, नहीं जेल अब जेल है।।

नहीं प्रेम की बातें करते।

नहीं किसी का सोना हरते।

जितना चाहो उतना लूटो,

लुटने से हम नहीं हैं डरते।

झूठ का इत्र मुबारक तुमको, हमको सच का तेल है।

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की, नहीं जेल अब जेल है।।


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