अब घुट-घुट करके जीना है
जान-बूझकर नरक में कूदा, पी ले हलाहल पीना है।
हँसने के दिन बीत चुके, अब घुट-घुट करके जीना है।।
कैसे निभायेगा जिम्मेदारी?
धोखा मिला, धोखे से यारी
विश्वास किया, तूने जिस पर
छल के अंकुर, छल की क्यारी।
कर में आये कांच के टुकड़े, तूने समझे नगीना हैं।
हँसने के दिन बीत चुके, अब घुट-घुट करके जीना है।।
कर्म पथ पर चलेगा कैसे?
सोते हुए को तजेगा कैसे?
जिनको अपने कहता है तू,
उनके दुख को सहेगा कैसे?
अकर्मण्य हैं साथी तेरे, तूने बहाना पसीना है।
हँसने के दिन बीत चुके, अब घुट-घुट करके जीना है।।
मरना चाहे मर नहीं सकता,
जिम्मेदारी तज नहीं सकता
प्रेम का नाटक होता है नित,
तू तो नाटक कर नहीं सकता।
समझाया, समझ न पाया, खुद ही निकला कमीना है।
हँसने के दिन बीत चुके, अब घुट-घुट करके जीना है।।
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