गीत मिलन के भी गा जाओ
गले लगो अब तो आ जाओ,
अन्तर तम में तुम छा जाओ।
वियोग सहा है बहुत ही अब तक
गीत मिलन के भी गा जाओ।
शिकवे शिकायत दूर करेंगे,
एक-दूजे के जब हो लेंगे।
डरती क्यों हो कठिनाई से,
मिलकर कष्टों को जी लेंगे।
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