Sunday, June 14, 2015

प्रेम का पथ पथरीला, टेढ़ा,

फकीरी ही जिस पर है फलती


जब प्रेमी पथ पर चल देते,

अपनी नाव स्वयं ही खेते।

साथ न कोई उनका देता, 

दुनियाँ तो बस गले ही रेते।


दुनियाँ तो लकीर पर चलती,

काँटों से हर पल ही डरती।

प्रेम का पथ पथरीला, टेढ़ा,

फकीरी ही जिस पर है फलती।

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