अपनों ने ठुकराया है
नहीं कोई है अपना यहाँ पर, कोई नहीं पराया है।
गैरों ने भी गले लगाया, अपनों ने ठुकराया है।।
संबन्धों का आधार भावना।
संबन्धों की होती साधना।
मस्तिष्क तो करता विश्लेषण,
लक्षित स्वार्थ की करे कामना।
कोई देता त्याग प्रेम से, दिल भी किसी ने चुराया है।
गैरों ने भी गले लगाया, अपनों ने ठुकराया है।।
सभी के अपने-अपने स्वारथ।
कहते हैं, उनको परमारथ।
प्रेम नाम ले लूट रहे नित,
राष्ट्रप्रेमी भी होते गारत।
अपने बन यहाँ लूट रहे हैं, फिर भी प्रेम दिखाया है।
गैरों ने भी गले लगाया, अपनों ने ठुकराया है।।
झूठ, छल और कपट प्रेम है।
संबन्धों का यहाँ गेम है।
हत्या करते हैं जो यहाँ पर,
सम्मान में जड़ते वही फ्रेम है।
धन की खातिर हत्या होती, सब कुछ किसी ने लुटाया है।
गैरों ने भी गले लगाया, अपनों ने ठुकराया है।।
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