Monday, May 17, 2010

आंखों में लिये कुटिल मुस्कराहट

मेरे एक भूत-पूर्व छात्र अमित चोधरी ने ऑरकुट प्रोफाइल पर मेरे लिए एक कविता लिखी है . अमित को धन्यवाद व शुभकामनाओं के साथ इसे यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ.
प्रस्तुत है अमित चोधरी की कविता



सफेदपोश शैतान


शरीर से रक्त

 
बहता है पसीना बनकर

 
कांटों को बुनती हुई

 
हथेलियां लहुलहान हो गयीं


अपनी मेहनत से पेट भरने वाले ही


रोटी खाते बाद में

 
पहले खजाना भर जाते हैं।

सीना तानकर चलते



आंखों में लिये कुटिल मुस्कराहट लेकर


लिया है जिम्मा जमाने का भला करने का


वही सफेदपोश शैतान उसे लूट जाते हैं।


4u sir

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