Wednesday, May 27, 2015

प्रेम के नाम पर विश्वास हैं छला

प्रेम के नाम पर विश्वास हैं छला 


                         रोशनी विश्वकर्मा




कितनी अजीब बात हैं 
कभी किसी ने मुझसे कहा था.
उसके जीवन में प्रेम नही कर्तव्य बड़ा 
उसके जीवन में प्रेम का कोई स्थान नही 
आज प्रेम को ईश्वरीय रुप दे डाला 
वाह प्रभु तेरे भी खेल निराले हैं 
एक इंसान के रूप में दोहरा इंसान बना डाले हैं,
प्रेम के नाम पर सिवाय धोखे के नही दिखा,
मुझे कुछ भी.
प्रेम के नाम पर विश्वास हैं छला 
प्रेम के नाम पर भावनाओ से खेला
घड़ी घड़ी हर रंग में बदलता प्रेम 

प्रेम के नाम पर ही अपने स्वार्थ की पूर्ति करता इंसान
हितापुर्ति के नाम पर प्रेम की दुहाई देता इंसान
इस प्रेम नाम ने तो प्रभु आप को भी ना छोड़ा 


प्रभू मैने तो यही समझा, 
जो होता यदि सप्रेम के नाम पर विश्वास हैं छला च्चा प्रेम.

ना छोड़ता कोई किसी का साथ 
यू बीच राह में पकड़ कर हाथ 
कभी कर्तव्य की दुहाई दे कर 
कभी समय सीमा के पाश में बाँध कर 
यू अन्तह्मन को ना घायल करता 
यू अन्तह्मन को ना घायल करता 
यू ना बिकता प्रेम दो कौड़ी के मोल 
ना बिकता प्रेम दो कौड़ी के मोल 
धरती पर ना रहा प्रेम अनमोल 
अब ना रहा प्रेम अनमोल.

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