मन से तो प्रिये
आपसे कभी हमारा वियोग हुआ ही नहीं,
आप तो हमारे रोम-रोम में समाई हो।
आप तो साथ हमारे, रहती हो हर पल,
आप ही हमारे अंग-अंग में समाई हो।
आपके ही कहने से कर रहे हर काम,
कहती हो क्यों? किसी और की पराई हो।
शरीर से ही तो, रहती हो केवल दूर,
मन से तो प्रिये, हमारे हिय में समाई हो।
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