Saturday, May 2, 2015

वो अपना है

ऐसे कितने है ?


                रोशनी विश्वकर्मा


क्या खूब कही तुमने सीधी  सच्ची बातें I 

 भाषण से ना काम चले है ,

कुछ कर के तुम दिखलाओ I 

पाप पुण्य  कभी ना समझा  I 

धर्म अधर्म ना जाना   I 

जो मैं बदली , जग बदला I 

यश की इच्छा कभी हुयी ना,

मानव हूँ मानव बनकर ही, 

 हर दम -हर कदम पर 

पाया है धोखा,  

जीवन की दिशा मैं क्या मोडूं, 

जीवन खुद बा खुद मुड़ गया है प्यारे I 

सीधी सच्ची बात कही तुमने .

कहने को अपना सारा जग है ,

पर हाथ पकड़ कर जो साथ चले 

वो अपना है I 

उपेक्षा देने वाले बहुतेरे है ,

अपेक्षा को अपना मान जो साथ चले  

ऐसे कितने है I 

वचन देने वाले बहुतेरे है ,

वचन देकर जो निभा जाये ऐसे कितने है I

जग में कहने को तो सब निराले है ,

पर जो कुछ अलग कर दिखला जाये 

ऐसे कितने है ?

तप , त्याग की बातें करते बहुतेरे है ,

पर कोई किसी के लिए अपना सब कुछ

 हार जाये ऐसे कितने है I 

कर्म करो की बातें करते है ,

पर कोई सच्चा कर्म निभा जाये

ऐसे कितने है .

वाह ! क्या खूब कही 

सीधी  सच्ची बातें .

भाषण से ना काम चले हैं 

कुछ  कर के तुम दिखलाओ I 

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