ऐसे कितने है ?
रोशनी विश्वकर्मा
क्या खूब कही तुमने सीधी सच्ची बातें I
भाषण से ना काम चले है ,
कुछ कर के तुम दिखलाओ I
पाप पुण्य कभी ना समझा I
धर्म अधर्म ना जाना I
जो मैं बदली , जग बदला I
यश की इच्छा कभी हुयी ना,
मानव हूँ मानव बनकर ही,
हर दम -हर कदम पर
पाया है धोखा,
जीवन की दिशा मैं क्या मोडूं,
जीवन खुद बा खुद मुड़ गया है प्यारे I
सीधी सच्ची बात कही तुमने .
कहने को अपना सारा जग है ,
पर हाथ पकड़ कर जो साथ चले
वो अपना है I
उपेक्षा देने वाले बहुतेरे है ,
अपेक्षा को अपना मान जो साथ चले
ऐसे कितने है I
वचन देने वाले बहुतेरे है ,
वचन देकर जो निभा जाये ऐसे कितने है I
जग में कहने को तो सब निराले है ,
पर जो कुछ अलग कर दिखला जाये
ऐसे कितने है ?
तप , त्याग की बातें करते बहुतेरे है ,
पर कोई किसी के लिए अपना सब कुछ
हार जाये ऐसे कितने है I
कर्म करो की बातें करते है ,
पर कोई सच्चा कर्म निभा जाये
ऐसे कितने है .
वाह ! क्या खूब कही
सीधी सच्ची बातें .
भाषण से ना काम चले हैं
कुछ कर के तुम दिखलाओ I
No comments:
Post a Comment
आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.