भाषण से ना काम चलेगा, कुछ तुम करके दिखलाओ।
जग को तो बदलोगे कैसे? खुद को बदल के दिखलाओ।
पाप-पुण्य का फेर छोड़ दो।
धर्म-अधर्म की बेड़ी तोड़ दो।
यश की इच्छा छोड़ के प्यारे,
जीवन की ही दिशा मोड़़ दो।
देवताओं को करो किनारे, मानव बनकर तुम दिखलाओ।
भाषण से ना काम चलेगा, कुछ तुम करके दिखलाओ।
कर्म हेतु ही कर्म करो तुम,
फल को छोड़ों स्वयं फलो तुम
द्रष्टा बनकर खुद को देखो,
ईश्वर की ना चाह करो तुम।
पद और पदक न बने सहारे, सहारा बनकर दिखलाओ।
भाषण से ना काम चलेगा, कुछ तुम करके दिखलाओ।
क्या है मेरा? क्या है तेरा?
कब तक अपना रहेगा डेरा?
वही मुक्त जो तथ्य को समझे,
बनाया खुद ही तुमने घेरा।
एक नहीं सब ही हैं अपने, सबका बनकर दिखलाओ।
भाषण से ना काम चलेगा, कुछ तुम करके दिखलाओ।
त्याग का केवल ढोंग रचाते
बदले में तुम महानता पाते।
अपेक्षा सबसे कितनी पालीं,
उपेक्षा को ना क्यूँ गले लगाते।
राष्ट्रप्रेमी हर राष्ट्र तुम्हारा, घट-घट बस कर दिखलाओ।
भाषण से ना काम चलेगा, कुछ तुम करके दिखलाओ।
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