Thursday, April 23, 2015

उन्हे ना आना था ना आयेंगे

मुझसे दूर चले गये 


      रोशनी विश्वकर्मा




हमने भी ढूंढा था .
प्यारा प्यारा सा एक मन मीत.
मेरी आवाज़ सुनकर जागता था वो.
जो नाराज़ हो जाऊँ मैं मनाता था वो.
जो वो नाराज़ होता मना लेती मैं.
एक दूजे के गुण अवगुण जोड़ते घटाते, 
कब एक दूजे के दिल तक पहुँचे 
समझ ही ना पायें.
दोनो एक दूजे के धड़कन बनते 
बढाये थे क़दम एक दूजे की तरफ़,
दो कदम उसके थे दो कदम मेरे थे 
कब मेरे कदम मिले उनके कदमों से,
था इंतजार इसका
कब सुने मेरी चलती सांसों के सरसराहट, 
था इंतजार इसका 
अचानक कब मुड़े उनके कदम 
मै समझ ही नही पायी 
आवाज़ दी मगर सुनी नही 
सोचा एक बार तो मुड़ कर 
देखेंगे 
मगर ऐसा नही हुआ
बिना मेरी खता बताये 
मुझसे दूर चले गये 
आज भी खड़ी हूँ इंतजार में 
जानते हुये कि वे किसी और के हैं 
उन्हे ना आना था ना आयेंगे 

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