Tuesday, April 21, 2015

नए दौर में बढ़कर लिख लें नई कहानी

छोड़े कल की बातें


छोड़े कल की बातें, कल की बात पुरानी।

नए दौर में बढ़कर  लिख लें नई कहानी।।


बीत गया,  जो बीत गया,  पछताने का ना कोई मतलब।

कहा-सुना बहुत आज तक, दुहराने का ना कोई मतलब।

भिन्न राह के राही हैं हम, वायदों का,  ना कोई मतलब।

समय मिला, अवसर चूके, पछताने का ना कोई मतलब।

राष्ट्रप्रेमी अब आगे बढ़ता, साथ  चले जो वही है रानी।

                     छोड़े कल की बातें, कल की बात पुरानी।


बातों के थे शेर हम केवल, अवसर था, नहीं मिल पाये।

काम-काज का अवसर था जो, हमने केवल गाल बजाये।

वादे मिलन के किए बहुत थे, अवसर पाया पीछे धाये।

पवित्र भाव को अपवित्र समझ, मित्र आपने हम ठुकराये।

काँटों को हम गले लगाते, आप हैं कुसुमों की महारानी।

                      छोड़े कल की बातें, कल की बात पुरानी।


विदा की बेला, विदा करो, शुभकामनाएँ  स्वीकार हमारी।

मन का मीत मिले आपको, जग में पाओ  शोभा न्यारी।

साहस, प्रेम, आत्मविश्वास से, महके तुम्हारी जीवन क्यारी।

पीड़ाएँ सब हमको दे दो, आपको मिले बस सुख की यारी।

राष्ट्रप्रेमी की कठिन डगर है, आप बनें बस सुखों की रानी।

                       छोड़े कल की बातें, कल की बात पुरानी।

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