Tuesday, April 28, 2015

दिल की रीत

उस और जाना क्यों ?

                          रौशनी विश्वकर्मा 


दिल की रीत 

कैसी है ये दिल की रीत ,

 ना समझे है कोई बात .

धड़के है उसके लिए , 

जिसके हिया में बसे है कोई और,

समझाने से न समझे है ,

 रे पागल मनवा .

अनजाने में छोड़ चुके जिस गली को ,

उस और जाना क्यों ?

कहता है दिल उस और छूट गया है,

मेरा कोई कीमती सामान ,

मेरा कोई अपना .

लेकिन मैंने दिल से कहा ,

बंद कर अपना ये धड़कना ,

इसे सुननेवाला नहीं कोई 

वहां किसी और का है शोर I 

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