उस और जाना क्यों ?
रौशनी विश्वकर्मा
दिल की रीत
कैसी है ये दिल की रीत ,
ना समझे है कोई बात .
धड़के है उसके लिए ,
जिसके हिया में बसे है कोई और,
समझाने से न समझे है ,
रे पागल मनवा .
अनजाने में छोड़ चुके जिस गली को ,
उस और जाना क्यों ?
कहता है दिल उस और छूट गया है,
मेरा कोई कीमती सामान ,
मेरा कोई अपना .
लेकिन मैंने दिल से कहा ,
बंद कर अपना ये धड़कना ,
इसे सुननेवाला नहीं कोई
वहां किसी और का है शोर I
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