Monday, April 20, 2015

आप गये हम अस्त हो गये

पथ के पथिक थे परिचित हो गये,

मन मिलने से हम हर्षित हो गये।

चन्द कदम था साथ हमारा,

चौराहे से ही जुदा हो गये।

राह में देखी थी एक बगिया,

सुगन्ध से उसकी मस्त हो गये।

सपने देखे साथ रहें मिल,

आप गये हम अस्त हो गये।

आप हमें कैसे भूल सकोगे?

हम कविता में व्यस्त हो गये।

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