दिल की गिरह खोल दो
रोशनी विश्वकर्मा
क्यु होते हो नाराज़ तुम मुझसे
कयू बैठे हो दिल में बात दबाये
बस एक बार बोल दो.
दिल की गिरह खोल दो
प्यार की अंखियॊं से
तुम देखो मुझको,
मौका ना मिलेगा
"मुझे संसार से मधुर व्यवहार करने का समय नहीं है, मधुर बनने का प्रत्येक प्रयत्न मुझे कपटी बनाता है." -विवेकानन्द
 
सच से भय लगता है जिसको जिसने चाहा लूट लिया है। हमने सब स्वीकार किया है। खट्टे मीठे अनुभव अपने, पल-पल हमने खूब जिया है। नहीं किसी से हमें षि...
"स्वतन्त्र भारत में नारी को मिले वैधानिक अधिकारों की कमी नहीं- अधिकार ही अधिकार मिले हैं, परन्तु कितनी नारियां हैं जो अपने अधिकारों का सुख भोग पाती हैं? आप अपने कर्तव्यों के बल पर अधिकार अर्जित कीजिए। कर्तव्य और अधिकार दोनों का सदुपयोग कर आप व्यक्ति बन सकती हैं। आपको अपने कर्तव्यों का भान है तो कोई पुरुष आपको भोग्या नहीं बना सकता-व्यक्ति मानकर सम्मान ही करेगा। इसी तरह आने वाली पीढ़ी आपकी ऋणी रहेगी।"
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