प्रेम ही जीवन सार, प्रेम ही लगे सगा
सृष्टि का कण-कण लगता है प्रेम पगा।
प्रेम ही जीवन सार, प्रेम ही लगे सगा।
आपके लिए भले ही, प्रेम हो बकवास।
हमको तो प्रेम ही ईश्वर का रूप लगा।
प्रेम नहीं स्वारथ, प्रेम नहीं वासना।
सभी प्राणियों मध्य प्रेम ही जोड़े तगा।
प्रेम का सौदा तुम करना नहीं कभी प्रिय।
प्रेम के बिना कोई दुनियाँ में नहीं सगा।
प्रेम का अंकुर, विनिष्ट नहीं होगा कभी।
जल, थल, नभ भी तो देखो प्रेम पगा।
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