Wednesday, May 6, 2015

चले आओ बस एक बार तुम

जाने कैसे हैं इरादे तुम्हारे 

                         रोशनी विश्वकर्मा


कैसे हैं आप, हमें याद तक नही करते.

मगर याद बहुत आते तुम.


ना जीने देते हो, ना मरने देते हो,


दिल के पास आना चाहूं,


तो कपाट दिल के कर जाते हो बन्द


जो नराज हो कर, दुर जाती हूँ.


तो खींच कर बुला लेते हो क्यु 


आपनी बाँहों में, 


जाने कैसे हैं इरादे तुम्हारे 


क्या बिगाडा था हमने तुम्हरा,


तेरी बाँहों में मरने की तमन्ना रखती हूँ,


क्या यही खता हैं मेरी.


क्यु ना दर्द मेरे तुम समझते,


दोस्ती ना सही दुश्मनी ही सही


निभाने की खतिर 


अब भी वक्त हैं 


अपने दिल की सुनो 


चले आओ बस एक बार तुम


या बुला मुझे अपने पास 

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