Wednesday, February 9, 2011

आओ दिल्ली चलें

आओ दिल्ली चलें
         देवेन्द्र कुमार मिश्रा, छिन्दवाड़ा (जन-प्रवाह से साभार)

आओ गीता और
कुरान पर हाथ
रखकर
झूठ को सच 
बनाकर
बोलें और कमायें
गवाह बनकर.


आओ धर्म के नाम पर
अधर्म करके
अपनी तन-मन की
जरूरतें पूरी करें
साधू बनकर.


आओ कि मर जायें
और मार डालें
मंदिर-मस्जिद
सत्य और अहिंसा
के नाम पर
अन्दर के राक्षस को 
शांत करें
राजनीतिक बनकर.


सत्ता बड़ी है
अहं और लोभ बड़ा है
क्रोध और काम 
जीवन में आवश्यक है
आओ कामी बनें,
पापी बनें,
कुत्ते बनें, कमीने बनें,
गिरवी रखें राष्ट्र
गरीब और पिछड़ा बनकर.


आओ कमायें
गरीबों का खून चूसकर
नगर सेठ बनें
अधमरी अशिक्षित जनता को
पीस-पीसकर
आओ दिल्ली चलें
जनता को मूर्ख बनायें
शरीफ़ बनकर.

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