Monday, May 2, 2022

प्रेम सुधा को तुम अब पी लो

                            मानव हो मानव बन जी लो


प्रेम सुधा को तुम अब पी लो।

मानव हो मानव बन जी लो।।


सबसे मिलकर रहना सीखो।

दुःख में भी खुश रहना सीखो।

सब ही मित्र नहीं कोई दुश्मन,

माँगों नहीं, लुटाना सीखो।

कपट गरल तुम हँस पी लो।

मानव हो मानव बन जी लो।।


नहीं किसी से लेना बदला।

खुद को ही हमने है बदला।

आहत हुए कदम-कदम पर,

प्रेम से ही है चुकाया बदला।

सच बोलो, झूठ को पी लो।

मानव हो मानव बन जी लो।।


किसी से कोई आश नहीं है।

साथी  कोई साथ नहीं है।

अकेले ही हम खुश रह लेते,

साथ के लिए मजबूर नहीं हैं।

अकेलेपन का रस भी पी लो।

मानव हो मानव बन जी लो।।


खुद ही खुद के साथी है हम।

सृजन के, संगी साथी है हम।

विश्वासघात से आहत होकर,

विश्वास के सदैव, साथी है हम।

जीओ और जीवन रस पी लो।

मानव हो मानव बन जी लो।।


No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.