Saturday, February 1, 2025

एलिमनी के बिना तो, तलाक भी नहीं होता

 वसंत

कई दिनों के वियोग

यात्रा की थकान

हो गया था सर्द

बेरोजगारी के दर्द

को समेटे हुए

घर वापस

उषा के पास पहुँचा।

उषा ने देखते ही

मुँह मोड़ लिया,

मुझे नहीं देखना

तुम्हारा पिटा हुआ चेहरा,

मैंने पहले ही कह दिया था

मेरे पास वापस

तभी आना

जब कमाकर कुछ बन जाओ

एसी, लेपटाॅप और आई फोन

खरीदने को धन जुटा पाओ।

बेरोजगारी का रोना रोने वाला 

प्यार क्या जाने?

प्यार के लिए तो पैसा चाहिए

यदि नहीं थी ताकत

कमाकर घुमाने की

तो क्या थी जरूरत

घोड़ी चढ़ आने की।

एलिमनी के बिना तो

तलाक भी नहीं होता।

अगर तुझे

अपनी जान प्यारी है,

तू बाहर निकल

उड़ाता रह तोता।


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