Sunday, February 23, 2025

परिवर्तन ही परिवर्तन है

परिवर्तन जीवन का मूल


स्थिरता तो शब्द मात्र है, इसको ना तुम जाना भूल।

परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।

षड् ऋतु आती जाती हैं।

वसंत में कोयल गाती हैं।

ग्रीष्म, वर्षा, शरद चक्र है,

हेमंत और शिशिर, आाती हैं।

कभी नायिका गर्म है होती, कभी नर को करती है कूल।

परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।

समय चक्र चलता ही रहता।

बर्फ पिघलती, जल है बहता।

कल तक प्रेमी प्रेम में डूबा,

बिछड़ वही है वियोग को सहता।

प्रयासों से पुष्प पल्लवित, निष्क्रियता बनती है शूल।

परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।

अपने आपको भूल गए थे।

उदासीन हो कूल भए थे।

सृजन तो प्रयास से होता,

निष्क्रिय हो हम गूल भए थे।

हमरे पथ में धूल बिछी है, तुमरे पथ हैं प्रेम के फूल।

परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।


No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.