परिवर्तन जीवन का मूल
स्थिरता तो शब्द मात्र है, इसको ना तुम जाना भूल।
परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।
षड् ऋतु आती जाती हैं।
वसंत में कोयल गाती हैं।
ग्रीष्म, वर्षा, शरद चक्र है,
हेमंत और शिशिर, आाती हैं।
कभी नायिका गर्म है होती, कभी नर को करती है कूल।
परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।
समय चक्र चलता ही रहता।
बर्फ पिघलती, जल है बहता।
कल तक प्रेमी प्रेम में डूबा,
बिछड़ वही है वियोग को सहता।
प्रयासों से पुष्प पल्लवित, निष्क्रियता बनती है शूल।
परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।
अपने आपको भूल गए थे।
उदासीन हो कूल भए थे।
सृजन तो प्रयास से होता,
निष्क्रिय हो हम गूल भए थे।
हमरे पथ में धूल बिछी है, तुमरे पथ हैं प्रेम के फूल।
परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।
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