Thursday, February 27, 2025

जो मुझसे संतुष्ट नहीं है

 साथ मुझे नहीं रहना है



मुझको अपने साथ ही रहना, मुझको तुमसे कहना है।

जो मुझसे संतुष्ट नहीं है, साथ मुझे नहीं रहना है।।

सुविधाएँ और ऐश चाहिए।

कर्तव्य बिना अधिकार चाहिए।

संबन्धों का व्यापार जहाँ हो,

मुझको ना संसार चाहिए।

झूठ, कपट और प्रदर्शन, सम्बन्ध, नहीं मुझे सहना है।

जो मुझसे संतुष्ट नहीं है, साथ मुझे नहीं रहना है।।

औरों की मर्जी से जीना।

जहर हुए सम्बन्ध को पीना।

ऐसा कोई कानून नहीं है,

स्वाभिमान का झुका दे सीना।

शिक्षित होकर जो परजीवी, जीवन नहीं है, दहना है।

जो मुझसे संतुष्ट नहीं है, साथ मुझे नहीं रहना है।।

नहीं चाहिए यश, धन मुझको।

संसार मुबारक तुम्हारा तुमको।

दरिद्रता को गले लगाकर,

बचाना है मुझे तुमसे खुद को।

समय चक्र चलता है नित, किसको? कब? कहाँ? ढहना है।

जो मुझसे संतुष्ट नहीं है, साथ मुझे नहीं रहना है।।

सीधा पथ कभी तनाव न देता।

व्यक्ति फिर भी नहीं है चेता।

षड्यंत्रों में फँसता खुद ही,

खुद ही अपना गला है रेता।

दुनिया के कहने पर चलता, मानव नहीं, वह शहना है।

जो मुझसे संतुष्ट नहीं है, साथ मुझे नहीं रहना है।।

संघर्ष में ही बीता बचपन।

संघर्ष में हुए हैं पचपन।

किसी से कुछ भी नहीं छुपाया,

अपना जीवन रहा है दरपन।

वस्त्रों का भी शौक न हमको, किसे चाहिए गहना है?

जो मुझसे संतुष्ट नहीं है, साथ मुझे नहीं रहना है।।

तुम्हें मुबारक लूटमार है।

तुम्हें मुबारक लोकाचार है।

संबन्धों का व्यापार करो तुम,

मुझको तो स्वीकार हार है।

जीवन की भी चाह नहीं है, नहीं आवरण पहना है।

जो मुझसे संतुष्ट नहीं है, साथ मुझे नहीं रहना है।।


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