Tuesday, December 1, 2015

एक बार बस मान जाओ

इतना सब कुछ दे चुकी हो, अपने कुछ पल और दे दो।

आपने अपना तो कहा था, वही बोल कुछ और दे दो।

आप कुछ भी कहो, रहो कहीं, हम अब भी आपको ही बसाये,

एक ही अब आश, एक आकांक्षा, एक बार और दर्श दे दो।


नाम आपका है लवों पर, नयनों में चेहरा बसा है।

दिल में आपका प्रेम सुरक्षित देख लो कैसा कसा है।

जिद छोड़ दो कुछ ही पलों को, एक बार बस मान जाओ,

तड़पाया है युगों से, दे चुकीं जो, क्या कम सजा है?


आपसे मिलने को हरदम, हम योजनाएँ हैं बनातें।

आपको एक पल निहारे, हम यही मनौती मनाते।

आप क्यों दिल कड़ा करतीं, अपने अन्दर तो निहारो,

एक बार बस झांक लो, जिस हिस्से को हम हैं सजाते।

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