नहीं मालुम क्या लिखें, मस्तिश्क अब खाली हुआ।
आपके बिन सूना है यह घर, उर भी वीराना हुआ।
आपने ही था जिलाया, यह नाचीज परवाना हुआ।
अपने को तो हो दूर करतीं, क्यों जीने की देतीं दुआ?
संसार के बंधन में फंसकर, आपको ना छोड़ सकते।
रिश्ता कोई ना भले हो, प्रेम से मुँह ना मोड़ सकते।
आप हमारी संघटक हो, आप बिन हम हैं अधूरे।
आप जहाँ भी हो खड़ी, सिर के बल हम दौड़ सकते।
आपके बिन सूना है यह घर, उर भी वीराना हुआ।
आपने ही था जिलाया, यह नाचीज परवाना हुआ।
अपने को तो हो दूर करतीं, क्यों जीने की देतीं दुआ?
संसार के बंधन में फंसकर, आपको ना छोड़ सकते।
रिश्ता कोई ना भले हो, प्रेम से मुँह ना मोड़ सकते।
आप हमारी संघटक हो, आप बिन हम हैं अधूरे।
आप जहाँ भी हो खड़ी, सिर के बल हम दौड़ सकते।
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