प्रेम ना कर सकीं, ईर्ष्या भी हमें मंजूर है।
ना हुआ राग आपको, विराग भी मंजूर है।
संयोग ना हो सका, वियोग भी है कब तलक,
अवधि बता दो, आपके साथ जहन्नुम भी मंजूर है।
आपके बिन नहीं जग में, रस कोई अब शेष है।
आपके बिन नहीं जग में, हमारा कोई अब वेश है।
आपको खोकर के जीते किस तरह यह देख लो बस,
हृदय नहीं, न है आत्मा, काया तुम्हारी, अब शेष है।
नहीं रहा कोई मित्र जग में, जीवन का ना लेश है।
आपके बिन मोह किससे? ना प्रेम ही अब शेष है।
प्रेम के बिन समझोगी नहीं तुम, मानव यंत्र विशेष है,
हमको नहीं सुख-दुख कोई अब, ना अपेक्षा, ना द्वेष है।
आपकी ही राह तकते, जीवन जीते जा रहे हैं।
आँसुओं को तो प्रिये हम, अन्दर पीते जा रहे हैं।
आप ना मिलो, हम मान जायें, हाल आपके जान जायें,
यही रहा यदि हाल हमदम, आपके पास ही आ रहे हैं।
हमने आपको सौंप दिया, अब किसके भरोसे रहे यहाँ पर।
नहीं है हमारी यहाँ जरूरत, हम भार बन रह गये जहाँ पर।
अपना समझते थे, हमें जो, आज वह भी जान गये हैं,
हम तो केवल आपके हैं, आप कहें, हम जायें कहाँ पर?
ना हुआ राग आपको, विराग भी मंजूर है।
संयोग ना हो सका, वियोग भी है कब तलक,
अवधि बता दो, आपके साथ जहन्नुम भी मंजूर है।
आपके बिन नहीं जग में, रस कोई अब शेष है।
आपके बिन नहीं जग में, हमारा कोई अब वेश है।
आपको खोकर के जीते किस तरह यह देख लो बस,
हृदय नहीं, न है आत्मा, काया तुम्हारी, अब शेष है।
नहीं रहा कोई मित्र जग में, जीवन का ना लेश है।
आपके बिन मोह किससे? ना प्रेम ही अब शेष है।
प्रेम के बिन समझोगी नहीं तुम, मानव यंत्र विशेष है,
हमको नहीं सुख-दुख कोई अब, ना अपेक्षा, ना द्वेष है।
आपकी ही राह तकते, जीवन जीते जा रहे हैं।
आँसुओं को तो प्रिये हम, अन्दर पीते जा रहे हैं।
आप ना मिलो, हम मान जायें, हाल आपके जान जायें,
यही रहा यदि हाल हमदम, आपके पास ही आ रहे हैं।
हमने आपको सौंप दिया, अब किसके भरोसे रहे यहाँ पर।
नहीं है हमारी यहाँ जरूरत, हम भार बन रह गये जहाँ पर।
अपना समझते थे, हमें जो, आज वह भी जान गये हैं,
हम तो केवल आपके हैं, आप कहें, हम जायें कहाँ पर?
एक एक शब्द दिल में दबी मोह को जगा जाते है ,
ReplyDeleteऐसा लगता है अपने दिल की आवाज़ को खुल कर ,
सामने रखा है .
हम तो केवल आपके हैं, आप कहें, हम जायें कहाँ पर?
ये पंक्ति बहुत अच्छी बन पड़ी है