Tuesday, November 24, 2015

सांझ-सकारे कोई निहारे

हमने प्रेम को सब कुछ समझा,

 सब कुछ है कुर्बान किया।

हमने समझा जीवन प्रेम है, 

प्रेम को पूरा मान दिया।

सभी प्रेम के भूखे धरा पर, 

आपको भी बेहाल किया।

भटक गये हो, खुद को भूले, 

प्रेम का ही अपमान किया।

कण-कण देखो यहाँ पुकारे

हमको प्रेम से कोई पुकारे

दिल में से आवाज एक ही,

सांझ-सकारे कोई निहारे ।

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