Sunday, November 22, 2015

कोई नहीं यहाँ साथ देता

काश! हम तुम्हें भूल पाते, जीवन जीना जान पाते।

कोई नहीं यहाँ साथ देता, तथ्य को हम मान जाते।

हम तो बस भावुक ही ठहरे, छोड़ना सीखा नहीं है,

स्वार्थ हित समझौते करना, काश! हम स्वीकार पाते।

जाओ आप, खुशियाँ ही ढूढ़ों, हम तो यूँ जीते रहेंगे,

आपकी खुशियों को लखकर, हम भी मुस्काते रहेंगे।

काँटों में खेले हैं हम तो, सुमन आपको हों मुबारक,

सुधा आपको मिलता रहे बस, हम तो विष पीते रहेंगे।

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