प्रेम न होता
समय का बन्दी
कभी था में ना
परिवर्तित होता
प्रेमी वियोग में
हरदम रोता
प्रेम न होता
उड़ता पंक्षी
छोड़ कभी भी
नहीं उड़ सकता
आप भले ही समझ न पाई
मैं तो देखो राह ही तकता
जिनका प्रेम मिट जाता है
प्रेम का वह तो नहीं नाता है
वह तो केवल स्वार्थ ही होता
वासना ही के गीत गाता है
प्रेम में नहीं कोई चाहना होती
प्रेम को बस देना आता है।
समय का बन्दी
कभी था में ना
परिवर्तित होता
प्रेमी वियोग में
हरदम रोता
प्रेम न होता
उड़ता पंक्षी
छोड़ कभी भी
नहीं उड़ सकता
आप भले ही समझ न पाई
मैं तो देखो राह ही तकता
जिनका प्रेम मिट जाता है
प्रेम का वह तो नहीं नाता है
वह तो केवल स्वार्थ ही होता
वासना ही के गीत गाता है
प्रेम में नहीं कोई चाहना होती
प्रेम को बस देना आता है।
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