झूठ बोलकर हमें फँसाया, साथ न तुमको चलना था।
साथी तुम्हारे दिल में बैठा, हमको तो वश गलना था।
षड्यंत्रों की जनक बड़ी हो, बनना उसी की ललना था।
पागल थे हम साथी खोजा, हमें तो अकेले ही चलना था।
गेम खेलने का शोक तुम्हें है, खेल तुम्हारा अपना था।
अपने धन को पास रखो तुम, लूटो हमें जो सपना था।
आशिक बहुत हैं पास तुम्हारे, जिन्हें नाम तुम्हारा जपना था।
जहाँ जाओगी, मिलेंगे वहाँ भी, मिटेंगे, हमको मिटना था।
जाओ वहीं और सुखी रहो तुम, जिसकी गोद में पलना था।
तुमने तोड़ा, टूट गये हम, टूटा वह भी जो सपना था।
तुम्हें मुबारक, तुम्हारा साथी, रोना हमारा अपना था।
जिसको चाहा, उसको भोगो, लुटते हैं हम, लुटना था।
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