हर फोन कॉल आपकी नजर आती है।
हर शक्लोसूरत आपकी ही नजर आती है।
जिसे भी सुनते हैं, हर आवाज लगती वही,
हर पल हमें हमारी सरकार नजर आती हैं।
"मुझे संसार से मधुर व्यवहार करने का समय नहीं है, मधुर बनने का प्रत्येक प्रयत्न मुझे कपटी बनाता है." -विवेकानन्द
लुब्धानां याचकः शत्रुमूर्खाणां बोधकः रिपुः। जारस्त्रीणां पतिः शत्रुश्चोराणां चन्द्रमा रिपुः॥६॥ मनुस्मृति दशवा अध्याय अर्थात- लोभी व्...
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