सशर्त बधाई
दो हजार पन्द्रह का पुनः अवलोकन, सोलह की करो योजना भाई।
ज्ञान, भाव और कर्म मिले तो, राष्ट्रप्रेमी की है सशर्त बधाई।।
मौज-मस्ती भी तभी मिलेगी, व्यस्त रहो कुछ कर्म भी कर लो
स्वार्थ भी पूरे तब ही होंगे, सुरक्षित समाज की रचना कर लो
कानूनों से ही सुरक्षा न मिलेगी, अन्तर्मनों को शिक्षित कर लो
अधिकारों को झगड़े बहुत हो, कर्तव्यों की कुछ सुध कर लो
समानता, स्वतंत्रता और बंधुता, न्याय की भी तो करो कमाई।
ज्ञान, भाव और कर्म मिले तो, राष्ट्रप्रेमी की है सशर्त बधाई।।
लूटपाट, अपहरण, बलात्कार अब तजने का संकल्प करो।
दोषारोपण बहुत हो चुका, कुछ करने का संकल्प करो।
मनुष्य न बन, अपराधी बनते, शिक्षालयों का संकल्प कर।
अपराध मुक्त यदि समाज बनाना, सद् शिक्षा का संकल्प करो।
नकल मुक्त शिक्षालय हो तो, सदाचारी सब बनेंगे भाई।
ज्ञान, भाव और कर्म मिले तो, राष्ट्रप्रेमी की है सशर्त बधाई।।
सरकार बदली वर्ष भी बदली, स्वयं बदलने की बारी है।
केवल सरकार न कुछ कर पाये, समाज की भी जिम्मेदारी है।
अपेक्षा बहुत पाली है अब तक, समझे कर्म से भी यारी है।
केवल सरकार पर निर्भर होकर करते हम अपनी ख्वारी है।
सरकार अपना काम है करती, हम भी अपना कर लें भाई!
ज्ञान, भाव और कर्म मिले तो, राष्ट्रप्रेमी की है सशर्त बधाई।।
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