Thursday, November 6, 2014

ज्योतिबा फुले के सपनों का आदर्श परिवार- हरियाणा के रेबाड़ी में

तोड़ डाली जाति और धर्म की जंजीर 


दैनिक जागरण 2 नवंबर 2014 के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित व्यक्तित्व आधारित फीचर में ज्योतिबा फुले के सपनों को साकार होता देखा जा सकता है। दैनिक जागरण के अनुसार-

1. अनूठा, अद्वितीय और प्रेरक। कृष्णा नगर निवासी सरदार त्रिलोचन सिंह के परिवार के बारे में बस यही कहा जा सकता है। धर्म व जाति के नाम पर भले ही कहीं तलवारें खिचतीं होेंगी, लेकिन यहाँ तो प्रेम का दरिया बहता है। मानवता और प्रेम के लिए इस परिवार ने धर्म व जातिगत संकीर्णता की दीवर को तोड़ दिया।त्रिलोचन के चारों पुत्रों ने न केवल हिंदू, मुस्लिम, सिख व ईसाई धर्म से नाता रखने वाले परिवारों में शादियाँ की, बल्कि अपनी पत्नियों की आस्था के अनुसार उन्हें अपने घर में पूजा का भी अवसर दिया।
2. देश में जाति और धर्म के नाम पर आज खूब राजनीति हो रही है। धर्म के नाम पर समाज को अलग-अलग नजरिये से देखा जाता है, लेकिन त्रिलोचन सिंह का परिवार हर साल होली, दीपावली, गुरूपर्व, ईद व क्रिसमस का त्योहार धूमधाम और समान रूप से मनाता है। इस घर में चारों धर्मो के ग्रंथ और धार्मिक साहित्य पढ़े जाते हैं।
3. सरदार त्रिलोचन सिंह, जो कि स्वयं सिख परिवार से हैं के चार पुत्र हैं। इनकी शादियाँ हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई परिवारों में हुई हैं। परिवार के सदस्य गुरुपर्व पर आयोजित होने वाले आयोजन में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
4. सरदार त्रिलोचन सिंह का बड़ा बेटा संतोख सिंह ‘लवली’ की वर्ष 2004 में रेवाड़ी के बंजारवाड़ा मोहल्ले की एकता के साथ शादी हुई। उनका पूरा परिवार हिंदू रीतिरिवाज से जुड़ा हुआ है। स्वयं संतोख सिंह का भी कहना है कि वह अब तक 16 बार हरिद्वार से कावड़ ला चुके हैं। मंदिरों में पत्नी के साथ पूजा अर्चना करने जाते हैं। पत्नी भी हिंदुओं की पूजा अर्चना के साथ सिख समुदाय की परंपराएं भी निभाती हैं।
5. दूसरे बेटे डा.कमल सिंह की पत्नी सरिता यादव की माँ मीना मुस्लिम समुदाय से संबधित हैं। सरिता यादव के पिता रामू यादव रेलवे से सेवानिवृत्त हैं। सरिता के अधिकांश रिश्तेदार मुस्लिम ही हैं। उनके नाना अब्दुल रशीद खान जहाँ मुस्लिम होने के बाबजूद उन्हें निरंकारी मिशन की ओर से पंडित की उपाधि दी गई है। इसके पीछे मुख्य कारण उनका सभी धर्मो के बारे में जानकारी होना है। ईद पर परिवार में सेवइयां बनने के साथ अल्लाह को याद किया जाता है।

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