4.16.2007
पागल कहो या कहो दीवाने, आप कहो वह सब-कुछ मानें।
भूल गए हम सब अफसाने, घायल की गति घायल जाने।
खेल-खेल में पाला बदला, आपने किए हम बेगाने।
आपके बिना नीरस जिन्दगानी, गाते हैं हम वियोग के गाने।
खत हम हर पल लिखते हैं, भेज न सकते मजबूरी है।
न लिखने का संकल्प आपका, हमारी भी तो मंजूरी है।
तन से स्वस्थ रहो, मन से पूरी, खिलखिलाहट ना रहे अधूरी,
जोड़ी आपकी बनी रहे बस, यही हमारी मजदूरी है।
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