Thursday, November 20, 2014

आपके बिना नीरस जिन्दगानी, गाते हैं हम वियोग के गाने।

4.16.2007
पागल कहो या कहो दीवाने, आप कहो  वह सब-कुछ मानें।
भूल गए हम  सब  अफसाने,  घायल की गति घायल जाने।
खेल-खेल में    पाला  बदला, आपने  किए  हम  बेगाने।
आपके  बिना नीरस जिन्दगानी, गाते हैं हम वियोग के गाने।


खत हम  हर पल  लिखते हैं,  भेज न सकते मजबूरी  है।
न लिखने  का  संकल्प  आपका, हमारी भी  तो मंजूरी है।
तन से स्वस्थ रहो, मन से पूरी, खिलखिलाहट ना रहे अधूरी,
जोड़ी  आपकी  बनी  रहे बस, यही  हमारी   मजदूरी  है।

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