Wednesday, November 5, 2014

साथ रहने का ख्वाब क्यूँ देखें?

3.23.07
साथ रहने का ख्वाब क्यूँ देखें? 
साथ हमारे आप खुष रह नहीं सकतीं।
साथ चलने का ख्वाब क्यूँ देखें?
साथ हमारे आप, पैदल चल नहीं सकतीं।
राजदार बनने का ख्वाब क्यूँ देखें?
आप अपने राज हमें कह नहीं सकतीं।
खत  पाने  का ख्वाब क्यूँ देखें?
मालुम है आप खत लिख नहीं सकतीं।

3.24.07

उलझा लेंगे अपने को, दुनियाँ भर के कामों में।
हम तो थे आपके लिए, जैसे गुठली होती आमों में।
गिरना, सड़ना और फिर उगना ही उसकी फितरत,
हम भी सहेंगे सब कुछ, आप खिलती रहें बहारों में।

3.25.07

आप बड़ी हैं हम जानते थे मगर,
इतनी न समझा हम छू न पायेंगे।
आप हसीं थीं, हम जानते थे मगर,
इतनी न समझा, आपके बिना जी न पायेंगे।

3.26.07
बचपन से लेकर अब तक भाये नहीं थे हमको गाने
उदासी, चिन्ता, गंभीरता ही समझे थे जीवन के माने
तन्हा जीवन, सुर संजीवन, याद आपके आते ताने
अन्दर रोना, बाहर हँसना सीखे जीवन के अफंसाने।

3.27.07
जाते-जाते आपने हमको, ऊपर से हँसना सिखा दिया
कभी न हम मजबुर हुए थे, मजबूरी से मिला दिया
चाहत आपकी बन न सके, वह भी नहीं जो मान रही हो,
हम तन्हा थे, हम तन्हा हैं, तुमको पिया से मिला दिया।

3.28.07
हमने आपको समझा नहीं था, आप भी हमको समझ न पाये
अविष्वास आपकी रग-रग में था,विष्वास आपको दिला न पाये
हमने तो सब कुछ कह डाला, राज आपके हम, जान न पाये
हुईं पराजित, घुटने टेके, समाज से आपको, हम बचा न पाये।

No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.