Sunday, November 23, 2014

प्रिये आपसे पुनः निवेदन

4.18.2007

प्रिये आपसे पुनः निवेदन, ख्याल हमारा मत करना।
तन को, मन को और बुद्धि को स्वस्थ बनाये रखना।
आहार-विहार रहे सन्तुलन, पौष्टिक भोजन नित करना।
परिवार पर देना ध्यान और सबके कष्टों को  हरना।
सुबह शाम तुम करना योग, ऊर्जा बनाए रखना।
तन्दुरूस्ती हजार नियामत है, बात याद ये रखना।
स्वस्थ शरीर की खातिर हर-दिन पौष्टिक भोजन लेना।
मन को स्वस्थ बना रखने को प्रिय सत्य संभाषण करना।
प्रतिदिन हो स्वाध्याय आपका, बुद्धि निमज्जित करना।
प्रेम, स्नेह  और दयालुता, उर  में  सदैव ही भरना।
समय  नियोजन  करके  प्यारी  हर पल खुश  है रहना।
अन्याय किसी पर  नहीं है  करना नहीं हमें है सहना।
कर्म  करो, कर्तव्य निभाओ, अपने उत्तरदायित्व निभाना।
यदि अपना कोई  रूठे कभी, करके मनुहार  मनाना।
जीवन  खेल है  चन्द  समय का, स्वस्थ  भाव अपनाना।
जीत-हार   का नहीं  है मतलब, सबको गले  लगाना।

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