Tuesday, November 11, 2014

महफिल में तन्हाई जीते, हमको हमारा दोस्त न मिलता।

4.7.2007
जीवन है भावनाओं का पथ, भाव तुम्हारे पास नहीं।
बुद्धि तुम्हारी तुम्हें सताये, दिल पर तुम्हें विश्वास नहीं।
इस दिल में यदि झांक के देखो, छबि तुम्हारी बसी हुई,
हम तो तुम्हारे पास ही रहते, तुम्हीं हमारे पास नहीं।

4.8.2007
जीवन जीना एक कला है कोरे ज्ञान से काम न चलता।
भावों से हों एक-दूजे के संबन्ध तर्क से कोई न फलता।
बुद्धि प्रेम की चिर दुश्मन, इससे कभी ना प्यार निकलता।
महफिल में तन्हाई जीते, हमको हमारा दोस्त न मिलता।


4.9.2007
भावों को ही हम लिखते हैं, जबाब आपके पास नहीं।
आप करें अपनी जिद पूरी, टूटे हमारी आस नहीं।
जीवन है तो लिखेंगे खत भी, चाहे डालो घास नहीं।
खत में है सन्देश् हमारा, तन में आप बिन सांस नहीं।

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