आखिर पुरुष मानव मन हो क्यूँकर मानोगे तुम 
रोशनी विश्वकर्मा
दिल जला कर , इलज़ाम लगा कर ,
रोशनी विश्वकर्मा
दिल जला कर , इलज़ाम लगा कर ,
साबित क्या करते हो ? 
अच्छे बस तुम इक  दुनिया में ,
बाकी सब कच्चे है ,
दिल भी है प्यार भी है , नहीं है इज़हारे तरीका 
आखिर पुरुष मानव मन हो क्यूँकर मानोगे तुम  
करती हूँ इरादे , नहीं करती वादे I
समझने वाले जो समझे , नहीं बस में मेरे कुछ अपने .
 
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