Tuesday, April 7, 2020

वनिता, बन्नो का पर्याय राग

पत्नी बन, सजाती जग की क्यारी है

                       
महिला, वामांगिनी, वनिता, रमणी, कांता, शक्ति, सुंदरी, जन्मदात्री नारी है।
सजनी, सहचरी, वल्लभा, वामा, पत्नी बन, सजाती जग की क्यारी है।।
औरत, स्त्री, सबला है तू, तू ही पत्नी दारा है।
सहधर्मिणी, घरनी, भामिनी, चढ़े न तेरा पारा है।
गृहस्वामिनी, गृहलक्ष्मी, गृृृहिणी, शक्ति स्वरूपा दुर्गा तू,
जहाँ भी जाती, घर है बनाती, भले ही वहाँ पर कारा है।
श्रीमती, बेगम, अर्धांगिनी, धर्मपत्नी, संगिनी, घरवाली की लीला न्यारी है।
सहगामिनी, प्राणेश्वरी, प्रियतमा, माता बन, सजाती जग की क्यारी है।।
बीबी और लुगाई भी है, कलत्र,जनानी, जाया है।
अबला, जोरू, परिणीता, बन तूने नर भरमाया है।
भार्या, बहू, वधू, वामांगना, अंकशायिनी, माया तू,
राष्ट्रप्रेमी ने वनिता, बन्नो का पर्याय राग ही गाया है।
जीवनसंगिनी, गेहिनी, प्रिया, हृदयेश्वरी, बन्नी, साजन को सजनीे प्यारी है।
प्राणप्रिया, तिय, तिरिया, दुलहन, प्राणवल्लभा बन, सजाती जग की क्यारी है।।
दयिरा, दुलहिन, शक्ति की देवी, काली ने नाच नचाया है।
शैलपुत्री, पार्वती, सती, प्रेयसी बन, प्यार का पेच फंसाया है।
महिलाओं की, महानता के, महान गान, कौन यहाँ गा पाये?
सृष्टि के सृजन की देवी, रति ने, रोते नर को हँसाया है।
आया है सृजन का पल, सृजन की देवी रमा की, अब घर सजाने की तैयारी है।
सुता, बहिन, पृथ्वी, माता, सृजनहार, जननी बन, सजाती जग की क्यारी है।।



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