नारी प्राणाधार है
नारी शक्ति, नारी भक्ति, नारी पालनहार है।
नारी ही, जननी है, नर की, नारी प्राणाधार है।।
जन्मदात्री है, नर की, नारी।
प्राकृतिक सखी, सहचरी, नारी।
नारी बिन, नर, नहीं चल सकता,
उँगली पकड़, चलाती नारी।
नारी ही, सृष्टि का मूल है, नारी ही, से घर-द्वार है।
नारी ही, जननी है, नर की, नारी प्राणाधार है।।
नारी ही है, घर को बनाती।
नारी ही है, घर की बाती।
नारी दुर्गा, नारी काली,
प्रेम से, नर को, है नहलाती।
नारी ही की, प्रेरणा पर नर, मर-मिटने को तैयार है।
नारी ही, जननी है, नर की, नारी प्राणाधार है।।
नारी ही सृजन है करती।
प्रेमी के लिए, रति ये बनती।
ज्ञान की देवी, नारी सरस्वती,
गृहलक्ष्मी भी, नारी बनती।
नर को, प्राणों से सहलाकर, नर को देती धार है।
नारी ही, जननी है, नर की, नारी प्राणाधार है।।
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