समझो मेरी घरवाली है
सब कहते काली काली है, समझो मेरी घरवाली है।
अधरों से गाली रस टपके, लगे जहर की प्याली है।।
नारी है, पूजा करनी है।
जीना है, माँग भी भरनी है।
खप्पर वाली देवी है वह,
नहीं किसी से डरनी है।
धोखा दे, प्यार वो पाने चली, कानून हाथ, मति खाली है।
अधरों से गाली रस टपके, लगे जहर की प्याली है।।
षडयंत्र, प्रपंच की है देवी।
पत्नी बन प्राणों की लेवी।
प्यार के नाम है, केस करे,
अद्भुत देवी, बनी फरेबी।
यारों की सखी, समर्पित है, वह कालदेव की साली है।
अधरों से गाली रस टपके, लगे जहर की प्याली है।।
अंग-अंग झूठ समाया है।
नारी नहीं, वह माया है।
राष्ट्रप्रेमी भी राष्ट्र को भूला,
जब से उसने, फंसाया है।
समझे खुद को सौंदर्य की देवी, कामदेव की आली है।
अधरों से गाली रस टपके, लगे जहर की प्याली है।।
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