Monday, April 6, 2020

मुझको तो आकर्षित करतीं

उसकी आँखों की प्याली है

                                     
भले ही काली- काली है, लेकिन मेरी घरवाली है।
मुझको तो आकर्षित करतीं, उसकी आँखों की प्याली है।।
बात-बात पर झूठ बोलती।
नहीं, कभी भी, राज खोलती।
प्रेमी के संग उड़ जाने को,
अपने पर है, रोज तौलती।
इच्छा तेरी पूरी हों सब, बने प्रेमी की डाली है।
मुझको तो आकर्षित करतीं, उसकी आँखों की प्याली है।।
धोखे से था ब्याह रचाया।
पल-पल मुझको था भरमाया।
धन की खातिर बनकर ठगिनी,
झूठा मुकदमा दर्ज कराया।
प्रेम के नाम ठगती है सबको, लेकिन प्रेम से खाली है।
मुझको तो आकर्षित करतीं, उसकी आँखों की प्याली है।।
कानून जाल में मुझे फंसाकर।
जेल का मुझको डर दिखलाकर।
शिकार करने को आतुर शिकारी,
पत्नी नहीं, शिकारी शातिर।
मैं तो खुशियाँ चाहूँ उसकी, वो मेरी मौत की जाली है।
मुझको तो आकर्षित करतीं, उसकी आँखों की प्याली है।।
नहीं चाहता तेरा बुरा हो।
स्वर कभी तेरा बेसुरा हो।
तुझको तेरी खुशियाँ मुबारक,
राष्ट्रप्रेमी आजाद खरा हो।
पढ़ी-लिखी आधुनिक विषकन्या, तेरी शान निराली है।
मुझको तो आकर्षित करतीं, उसकी आँखों की प्याली है।।

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