कुछ खुद को कह रहे घराती, कुछ कहते हैं, बराती हैं।
जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।
मात-पिता संग बचपन जीया।
किषोरावस्था में, मन का कीया।
युवावस्था का, धोखा मधुर था,
गले लगा, जीवन रस पीया।
कुछ ही पल तक साथ चलें ये, बातें इनकी भरमाती हैं।
जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।
काया ही जीवन की साथी।
मच्छर हो या फिर हो हाथी।
देखभाल काया की कर लो,
यह ही आथी, जीवन-साथी।
काया बिना, आत्मा भी भूत है, दुनिया जिससे शरमाती है।
जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।
मात-पिता का साथ है सीमित।
पति-पत्नी संग, नहीं असीमित।
जीवन साथी नहीं मिलेगा,
साथ किसी का नहीं है बीमित।
काया जब तक, जीवन तब तक, शेष सभी वष भाथी हैं।
जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।
सहायताः- आथी-संपत्ति, भाथी-धौंकनी।