Friday, August 8, 2025

समाधान नहीं खोजा तुमने,

 समाधान नहीं तुम बन पाईं!


समस्याओं में अटका यह जग, शिकायत करते लोग-लुगाई।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

रिश्तों में टकराव है हर पल।

अपने पराये की है हल चल।

हमने तो निज उर है खोला,

अजस्र प्रेम, स्रोत की कल-कल।

लेने की बस चाह तुम्हारी, खुद को ही तुम समझ न पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

बिना किए अच्छा बनना है।

फूल नहीं, तुम्हें फल चुनना है।

लेन-देन से चलती दुनिया,

सुनाना है बस, नहीं सुनना है।

नफरत तुमने उर में पाली, अपनों को ना अपना पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

श्रवण कुमार कह मजाक उड़ाई।

कर्तव्य पथ तुम नहीं चल पाईं। 

लेन-देन से चलती दुनिया,

लेने की तुमने, राह है पाई।

प्रेम तो होता पवित्र समर्पण, समझाया तुम समझ न पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

अलग राह है तुमने चुन ली।

स्वार्थ की चूनर तुमने बुन ली।

अपना हित भी समझीं नहीं तुम,

नकल करी और किस्मत धुन ली।

जीवन अपना जीना हमको, सीधी राह पर चल नहीं पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!


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