आगे बढ़कर गले लगाया
स्वार्थ पास हमारे आया, हमने तब-तब है ठुकराया।
असफलता ही पाई हमने, आगे बढ़कर गले लगाया।।
अपने आपको तुम पर थोपा।
नहीं सुना, कभी दिया न मौका।
नहीं कभी है किसी को समझा,
चाहा हर दम लगाए चैका।
तुम्हारे बचपन को रौंदा है, केवल अपना गाना गाया।
असफलता ही पाई हमने, आगे बढ़कर गले लगाया।।
बचना अब हमरी छाया से।
सुखी रहो अपनी काया से।
बुद्धिमान हो कर लो मन की,
मुक्त रहो मेरी माया से।
अकेले कोई जीवन होता? पाओ तुम, मैंने ना पाया।
असफलता ही पाई हमने, आगे बढ़कर गले लगाया।।
तुम्हारे ऊपर कोई कर्ज नहीं है।
सुनना तुम कोई अर्ज नहीं है।
मुक्त कर रहा खुद से तुमको,
हमारे लिए कोई फर्ज नहीं है।
चाह न समझी कभी तुम्हारी, नहीं किया जो तुमको भाया।
असफलता ही पाई हमने, आगे बढ़कर गले लगाया।।
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