साथी है जो साथ में चलता
साथी है जो साथ में चलता, गीत प्रेम का गाया है।
नहीं कोई है अपना यहाँ पर, कोई नहीं पराया है।।
अपना तो जीवन है भटकन।
आभूषण बन जाता लटकन।
आभूषण तो लुटते रहते,
वर्तमान में जीता बचपन।
कोई क्या हमको लूटेगा? खुद ही खुद को लुटाया है।
नहीं कोई है अपना यहाँ पर, कोई नहीं पराया है।।
अगले पल का पता नहीं है।
खुद को खोया, लुटा नहीं है।
भविष्य को तुम क्या जिओगे?
वर्तमान तो जिया नहीं है।
जहाँ हो, जिसके साथ हो, जीओ, जो पल पाया है।
नहीं कोई है अपना यहाँ पर, कोई नहीं पराया है।।
अपने बनकर, हमको लूटा।
अब तो सबका, साथ है छूटा।
नहीं प्रेम है, नहीं है बंधन!
खुल गए बंधन, टूटा खूँटा।
यात्रा ही गंतव्य हमारा, राह ने साथ निभाया है।
नहीं कोई है अपना यहाँ पर, कोई नहीं पराया है।।
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