समस्याओं से नहीं है डरना।
जीवन है फिर क्यूँ है मरना।
स्वयं कर्मरत, विकास करें हम,
नहीं किसी का चैन है हरना।
समस्या, सुलझा लेंगे हम।
संघर्ष से भी सीखेंगे हम।
एकांत की क्यों चाह करें?
हाथ थाम, अब साथ चलें हम।
शिकवा-शिकायत छोड़ दिए हैं।
दुखो को भी मोड़ दिए हैं।
परंपरा बाधक जो पाईं,
उनको तो हम तोड़ दिए हैं।
अपने लिए ही जीना है अब।
किसी को जाल बिछाया है कब?
जिसने हमसे साथ है माँगा,
उसको साथ दिया है तब-तब।
सबके हित में काम करेंगे।
अपने हित भी नहीं तजेंगे।
नहीं कभी है किसी को लूटा,
लुटे बहुत, अब नहीं लुटेंगे।
नहीं कोई जिद, नहीं झुकेंगे।
विश्राम भले हो, नहीं रुकेंगे।
पथ पर हमको नित है बढ़ना,
थके भले हो, नहीं चुकेंगे।
साथ भले कोई न आए।
करेंगे वही, जो मन को भाए।
चाह नहीं, चाहत नहीं कोई,
सबके हित हैं गाने गाए।
जाल किसी के नहीं फसेंगे।
चाहत से हम नहीं बहकेंगे।
चलना चाहो, चल सकते हो,
चलने से हम नहीं रुकेंगे।
यात्रा ही गंतव्य हमारा।
हित सबका मंतव्य हमारा।
आना चाहो, साथ में आओ,
शेष नहीं ज्ञातव्य हमारा।
परमारथ का नहीं है दावा।
कर्म किए, है स्वारथ साधा।
लेन-देन से चलता है जग,
खा लेंगे मिल आधा-आधा।
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